बिरजू

  • 4.6k
  • 2
  • 1.7k

चैत का महीना निकल गया, बैसाख लग गया है,आम के पेड़ों पर बौर लग गई है और कहीं -कहीं किसी- किसी पेड़ पर छोटी छोटी अमियां भी लग गई है, सुबह-सुबह तो मौसम थोड़ा ठंडा रहता है लेकिन दोपहर चढ़ते चढ़ते मौसम गर्म हो जाता है,सब अपने खलिहानों में दोपहर का खाना बनकर ले आते हैं और दिन अनाज,भूसा सम्भालने में बीत जाता है ,सबकी फसलें खेतों से कटकर खलिहानों में रख गई है,लोग अपने अपने खलिहानों में अनाजों से भूसे को अलग करने में लगे रहते हैं कि आंधी और बारिश से पहले अनाज घर में सुरक्षित रख जाए,