बचपन की एक धुंधली सी तस्वीर नजर आयी और इस तस्वीर के साथ कुछ गमगीन करने वाली यादें भी | माँ का हाँथ पकड़े मैं पापा के पीछेेे -- पीछे चल रही थी। सामान इंसानो से ज्यादा था। मेरे समझ से परे था की कौन से शहर मे आ गए थे हम। रिक्सा से हम किसी के घर पहुँचे। एक बड़ा सा घर और बीच मे बड़ा सा आँगन और उसके बीच तुलसी-चौरा लेकिन मन मे अभी भी यही सवाल था की क्यू और कहाँ आ गए हैं हम। माँ ने कहा की हम मेरी बड़ी माँ और बा (बड़े