(14) पंकज जिस कमरे में घुसा था उसमें मीरा कैद थी। उसे देखते ही मीरा गुस्से से उबलने लगी। लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी। वह फर्श पर बैठी हुई थी। उसके हाथ पैर बंधे हुए थे। मुंह पर भी पट्टी बंधी हुई थी। वह बस अपनी विवशता में छटपटा रही थी। पंकज अंदर गया। एक कुर्सी लेकर मीरा के सामने बैठ गया। उसने मीरा के चेहरे पर हाथ फेरा। मीरा ने गुस्से से अपना सर झटका और कुछ पीछे खिसक गई। उसकी इस दशा पर पंकज हंसने लगा। वह उठकर खड़ा हो गया। कमरे में