मृत्यु भोग - 5

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मेट्रो से घर आते वक्त प्रताप को एक अलग ही अनुभूति हो रही थी । ऐसा लग रहा है सर पूरा खाली हो गया है दिमाग में कुछ था पर अब नही है । सर पूरा ठंडा हो गया है । घर की एक चाभी उसके पास ही रहता है , आज घर में जाते ही एक सड़न की गंध उसके नाक पर पड़ी । फिर प्रताप ने महसूस किया कि उसके गले में वह माला गरम हो गया है । प्रताप ने दरवाजा के पास चप्पल खोला फिर खुद का शर्ट खोलते खोलते अपने पसीने के गंध से उसे