आनंदधाम कुंती की वेदना अरिन कुमार शुक्ला दो शब्द मैंने 15 वर्ष की आयु मे मानवीय करुणा की एक झलक को कलम की स्याही से उकेरने का प्रयास किया है। स्वाभाविक रूप से यह एक आदर्श या उत्तम कृति नहीं होगी लेकिन आपके मन को भाएगी इसकी आशा है। - अरिन कुमार शुक्ल भाग 1 एक जर्जर हो चुकी पुरानी हवेली। इसकी दीवारों की नक्काशी इसके बीते हुए स्वर्णकाल की याद दिलाती है। अभी कल ही को बात थी। ठाकुर अनुपचंद गाँव के सबसे धनी व्यक्ति थे। केवल लखिरपुर मे