स्वर्ग का टिकट

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शेठ धनीराम तीर्थयात्रा पर निकले ।कुछ आवश्यक सामान व एक हजार अशर्फियाँ थैले में डाल कर साथ ले गए थे । रात्रि विश्राम के लिए एक धर्मशाला में रुके ।वहीँ उनकी मुलाकात पड़ोस के गाँव के एक गृहस्थ बांकेलाल से हुयी । बांकेलाल एक गरीब किसान था । धरम करम में भी उसकी रूचि थी और वह भी तीर्थयात्रा के लिए ही निकला था ।धर्मशाला में ही एक आदमी एक कोने में पड़ा कराह रहा था । दोनों यात्री उठकर उसके करीब गए । उसने इशारे से समझाया कि वह चार दिनों से भूखा था । इतना सुनते ही शेठ