दास्ता अनोखे प्यार कि .....

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यह कहानी है १९९७ कि, राज और नुपूर कि जब नुपूर के मम्मी पापा और राज के मम्मी पापा दोनो एक दुसरे के बोहोत अछे दोस्त थे एक बर समर वेकेशन मे नुपूर के मम्मी पापा राज के घर नाशिक मे वेकेशन मनाने आये थे तब राज नाहाकर बाथरूमसे बहार निकल राहा था इतने मे नुपूर और नुपूर कि फॅॅमिली उनके घरआ जाती है नुपूर राज से मिलने किलीये सबसे पेहले घरमे आ जाती है तब राज यु अचानक नुपूर को देखकर शॉकट हो जाता है ओर हर्बडिमे उसका टॉवल निकल जाता है| नुपूरको देखके राज शर्माके चेअर के पीछे