---उपन्यास भाग—आठ अन्गयारी आँधी—८ --आर. एन. सुनगरया, सामाजिक परिवर्तन, समय के साथ वाजिब है, स्वभाविक है। परन्तु प्राकृतिक मूल तत्वों का बदलाव अथवा हृास किसी भी दृष्टि से मुनासिब