भाग 17 तीन वर्ष साथ बिताने के बाद दोनों परिवारों को अलग होना बहुत कष्टकर प्रतीत हो रहा था। निर्मला जी का तो तो रो - रो कर बुरा हाल था । निर्मला जी और शाश्वत की मां दो सखियों की भांति हो गई थी। अपना सारा वक्त एक दूसरे के साथ ही बिताती थी । कभी वो उनके यहां तो , कभी ये उनके यहां। एक घर में , नाश्ता बनता तो दूसरे घर में लंच बन जाता। डिनर तो हमेशा ही सब एक साथ करते , कभी इनके घर तो कभी उनके घर। शाश्वत की मां भी बहुत दुखी थी। पर जाना तो था ही। प्रशांत