एपिसोड---31 आज टहनियों के घर मेहमां हुए हैं फूल ! जी हां ! ! तभी तो अपने तन के गोशों में छिपी किलकारियां और अपनी अंतरात्मा में बजते संगीत की धुन सुन कर मैं अपने अन्तस से बहते--- गहन अंतर्भाव ! के जगने की लय को, पहचानने मैं लगी रहती। शास्त्रों के कथनानुसार अपने चित्त को एकाग्र, शांत और प्रसन्न रखने का यत्न करती। अभिमन्यु ने मां के गर्भ में चक्रव्यूह में प्रवेश का पाठ पढ़ लिया था तभी तो अपना व्यवहार अनुकरणीय जानकर मुझे जीवन और सोच में तालमेल बिठाए रखना होता था। सदैव हंसती खिलखिलाती रहती थी