मैं तो ओढ चुनरिया - 8

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मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय आठ रात मंदिर से सटी एक धर्मशाला में बङे से हाल में कटी । कोठारी ने दरियां झङवाकर बिछवा दी थी । रात को तुलाइयां और कंबल भी दे गया । लोग खुश हो गये ,- “ देखा महामाई सबकी फिकर खुद करती है । इन पंडित के मन में कैसे माया भर दी वरना आजकल कोई किसी की परवाह करता है क्या ? “ सोने जा रहे लोगों के बीच फिर से बातों का दौर चल पङा – लोग माता के चमत्कार की दंतकथाएं सुनाने लग पङे । यहीं ज्वालामुखी मंदिर