कहानी स्वतंत्रता के दीपक रामगोपाल भावुक मुझे खूब याद है ,मैं अपने पिताजी घनसुन्दर तिवारी के साथ दीपावली के दिन उस समाधि पर दीपक रखने गया था। दीपक रखते समय पिताजी ने उनसे प्रार्थना की थी- ‘आपकी कृपा से हमारी स्वतंत्रता अमर रहे।’ उनकी यह बात सुनकर मैंने पिताजी से प्रश्न कर दिया-‘‘मैं कुछ समझ नहीं ! हमारी स्वतंत्रता का सम्बन्ध इस समाधि से कैसे?’’ उस दिन इस प्रश्न के उत्तर के लिये मुझे घर में दीपावली के पूजन के बाद सारे कामों से निवृत होकर जब मैं सोने पहुँचा पिताजी