मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय सात साढे चार बजे के अंधेरे में बसअड्डे से निकली बस ने इधर फगवाङा पार कर होशियारपुर की सङक पर पैर रखा , उधर सूरज ने अपने कंबल से थोङा सा मुँह बाहर निकाला । होशियारपुर पहुँचते ही सूरज अपनी रश्मि के साथ सैर पर चल पङा था । ड्राइवर ने बस एक ढाबे पर लगाई – भई दस मिनट रुकेंगे यहाँ । थोङी नींद की खुमारी उतार लें । तुम लोग भी मुँह हाथ धो लो । चाय पी लो पर सही दस मिनट में सीट पर बैठे मिलना । लोग आधे