बुन्देलखण्ड के लोकाख्यानों के सामाजिक अभिप्राय

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बुन्देलखण्ड के लोकाख्यानों के सामाजिक अभिप्राय -के.बी.एल. पाण्डेय संस्कृति जीवन के परिष्कार के उद्देश्य से मानवीय रचनाशीलता की वह निष्पत्ति है जिसमें जीवन के व्यापक आयतन में निर्मित मूल्यबोध निहित होता है। इस रचनाशीलता में मनुष्य की भातिक और मानसिक उपलब्धियों का कौतूहल उत्पन्न करता विराट संसार होता है। विभिन्न भूगोलों में रची जाती संस्कृतियों के भौतिक आसंग भिन्न होते हैं पर उनके आधारभूत आशयों में लगभग समान शुभकांक्षाएँ होती हैं। भारत जैसे विविध और बहुलतापूर्ण समाज में अनेक भौगोलिक आंचलिकताएँ हैं। इन अंचलों में भाषा और जीवन शैली के अलावा इतिहास और समाज की अलग-अलग विशेष घटनाएँ हैं। ये