शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 30

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डायरी बख्तावर खान की हवेली शहर के पास के एक कस्बे संदलगढ़ में थी। संदलगढ़ का पुराना नाम चंदनगढ़ था। अंग्रेजों ने जिस तरह से तमाम जगहों के नाम अपने विशेष उच्चारण की वजह से बदल दिए थे, वैसे ही इस जगह को भी उन्होंने चंदनगढ़ से सैंडलगढ़ कर दिया। बाद में लोगों ने अपने उच्चारण के मुताबिक उसे संदलगढ़ कर दिया। इस इलाके में कदम रखने पर ऐसा लगता था, जैसे स्वर्ग में आ गए हों। बड़ा शांत इलाका था। 25 किलोमीटर के इलाके में चंदन के जंगल फैले हुए थे। जंगल के पश्चिम की तरफ एक कुदरती झील