शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 29

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बाल की खाल इंस्पेक्टर कुमार सोहराब और सार्जेंट सलीम लॉन में आकर बैठ गए। सोहराब के चेहरे पर गहरी चिंता थी। उसने सिगार का एक गहरा कश लेते हुए कहा, “मैं विक्रम के खान को कभी नहीं भूल पाऊंगा। वह दुनिया का जाना-माना पेंटर था, लेकिन वक्त ने उसे बद से बदतर हालात में पहुंचा दिया था।” “उसकी मौत कैसे हुई है? किस नतीजे पर पहुंचे आप?” “नतीजे इतनी जल्दी नहीं निकाले जा सकते हैं, लेकिन हालात से लग रहा है कि उसने खुदकुशी की है।” “ऐसा किस बिना पर कह रहे हैं आप?” “इसलिए कि कमरे में संघर्ष के