पागल - 1

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लेखक : ब्रजमोहन शर्मा ( वह l लगातार स्वयं से बातें करते हुए अपने तीन मंजिले मकान में बड़ी फुर्ती से ऊपर नीचे चढ़ता उतरता रहता I वह अपने रास्ते में आने वाली हर सजीव व निर्जीव वस्तु से इशारे करके उसकी खैरियत पूछता रहता I कुए में दिखाई देने वाला उसका हमशकल उसका बड़ा गहरा मित्र था I वह उस हमसाये से बहुत देर तक न जाने क्या क्या बातें करता रहता I यदि कोई शरारती युवक उसे रोकने का प्रयास करता तो वह शोर मचाता,“ देखो भैया ये मान नहीं रहा है, यह लड़का मुझे तंग कर रहा