एकांकी- दहेज रामगोपाल भावुक (शहर के आम चौराहे पर शर्मा रेस्टारेन्ट में दो अधेड़ अबस्था के व्यक्ति चाय की चुस्कियों के साथ बातें कर रहे हैं।) विजयवर्गीय- आनन्द बाबू आज सुस्त क्यों दीख रहे हो? आफिस में काम करते समय भी गुमसुम लगे रहे और लंच के समय में भी......। आनन्द- आज मन ठीक नहीं है। विजयवर्गीय-क्यों क्या बात हो गई? आनन्द- कुछ नहीं यों ही....। विजयवर्गीय-अरे यार! अपनों से कोई बात छिपाई नहीं जाती। आनन्द- यही अपनी बच्ची बन्टी है ना, उसके लिये लड़का देखने गया था। विजयवर्गीय- तो क्यार हुआ? आनन्द-वे एक लाख रुपये दहेज