बैंगन - 3

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( 3 ) महिला के भीतर जाते ही मैं भाई पर लगभग बिफर ही पड़ा। भाई चुपचाप मुंह नीचे किए मेरी गुस्से में कही गई बात सुनता रहा। मैंने कहा- वहां जाकर ये दूसरी शादी कर ली और यहां किसी को भनक तक नहीं लगने दी। भाभी और बच्चे कहां हैं? कहां छोड़ा उन्हें? ऐसे प्यारे - प्यारे बच्चे आख़िर किस बात की सज़ा पा रहे हैं? और वो हैं कहां? भाई उसी तरह सिर झुकाए बोला- चाय पीकर फ्रेश हो ले... फ़िर सब बताऊंगा तुझे आराम से, इसीलिए तो बुलाया है तुझे! मैं गुस्से से तमतमा उठा। लगभग चीख