उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 12महाराज पुरुरवा को उनके कर्तव्यों का बोध कराने के लिए रानी औशीनरी ने मानवक को बुलाया। उन्होंने मानवक को आदेश दिया कि महाराज पुरुरवा के पास जाकर उन्हें समझाए।मानवक महाराज पुरुरवा के समक्ष हाथ जोड़ कर खड़ा था। महाराज पुरुरवा ने पूँछा,"तुम्हारे यहाँ आने का प्रायोजन क्या है ? पता है ना कि हम कुछ समय आनंद विहार के