उर्वशी और पुरुरवा एक प्रेम-कथा भाग 11उर्वशी और पुरुरवा गंधमादन पर्वत पर बने महल में निवास करने चले गए। वहाँ उनके प्रेम में व्यवधान डालने वाला कोई नहीं था। रात्रि दिवस दोनों एक दूसरे के प्रेम सरोवर में गोते लगाते रहते थे। चंद्रमा की सुखद शीतल चांदनी में गलबहियां डाले आपस में बात करते थे।एक दिन उर्वशी ने पुरुरवा से कहा,"महाराज मैंने सुना है कि