तरह तरह के कयास लगाते रामु काका पांडेय जी के साथ पेड़ के नीचे छांव में खड़े थे । चंद समय में पांडेयजी ने पूरी हकीकत ज्यों की त्यों रामु काका के सामने बयान कर दी थी । पूरी कहानी सुनने के बाद रामु काका ने निराशा भरे स्वर में कहा ” वैसे साहब ! आप कह रहे हैं तो ठीक ही होगा लेकिन हमारा मन यह कभी नहीं मान पायेगा कि मुनिरवा ने ऐसा करने का कोशिश किया होगा जैसा आप बता रहे हैं । अब हकीकत तो वही बता पायेगा । …… ”अपनी बात को समर्थन मिलता नहीं