मेरा इश्क़ जुदा जुदा सा

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""""" इश्क़ मेरा जुदा -जुदा सा है'"''"""'' """"""""""??'''''''''''''''''सच कहूं तो आज कहानी लिखने के लिए न कोई मुकम्मल शीर्षक और न ही कोई विषय मिल रहा था। मगर ट्रैन में होने के नाते मुझे टाइम पास करने के लिए कोई न कोई कहानी तो लिखनी ही थी क्योंकि मैं अक्सर कहानियां अपने सफर के दौरान ही लिखता हूँ।इससे हमारे समय का सदुपयोग भी बेहतर ढंग से हो जाता है और मंज़िल तक पहुँचने में बोरियत भी नहीं होती है।हिंदुस्तान के गॉंव की मिट्टी में दबी सहमी बहुत सी कहानियों ने सिर उठाने की कोशिश तो की ,मगर समय