काष्ठ प्रकृति जब मेरी चेतना लौटी टो मैंने अपने आपको अस्पताल के बिस्तर पर पाया| चिंतित चेहरों की भीड़ में अपने कॉलेज के प्रिंसिपल को देखकर मैं स्वयं चिंता एवं भय से भर उठा| जब कभी भी हमारे कॉलेज के किसी अध्यापक पर कोई जानलेवा विपत्ति आती है तो हमारे प्रिंसिपल अवश्य उपस्थित रहते हैं| तो क्या मैं मरने जा रहा था? "यदि ऐसा ही है," मैंने प्रभु-स्मरण किया, "तो मरते समय मैंने केवल उसी एक चेहरे को अपने साथ ले जाना चाहता हूँ| जब मेरी आँखें पथराएँ," मैंने प्रभु से विनती की, "तो केवल उसी का बिम्ब उन पर