मे और महाराज - ( तीन नियम - १) 7

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" मुझे नहीं जाना वजीर के घर प्लीज़ मुझे वहा मत भेजो।" उसने राजकुमार का हाथ पकड़ते हुए कहा। " अब ये मासूमियत क्यों? थोड़ी देर पहले तो आप कुछ अलग तरीके से बात कर रही थी।" उसने हाथ छुड़ाते हुए कहा। "कल आपको निकालना है। तैयार रहना।" वो उसे देखे बिना वहा से चला गया। " कहीं में सच मे तुम्हे गलत तो नहीं समझ रहा। जब भी मिलता हू ऐसा लगता है मानो तुम वो राजकुमारी नहीं हो जिसे में बड़े भाई के साथ मिला था। कौन हो तुम?" वो जब पीछे मुड़ा कोई वहा खड़े खड़े जमीन पर