जहीर कुरैशी का गजल संसार

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जहीर कुरैशी का गजल संसार किस्से नहीं हैं ये किसी विरहन की पीर के। ये शेर हैं अँधेरों से लड़ते जहीर के।चिन्तन ने कोई गीत लिखा या ग़ज़ल कही ?जन्मे हैं अपने आप ही दोहे कबीर के। गीत और गज़ल परंपरा के प्रतिमान कवि जहीर कुरेशी की सम्पूर्ण काव्य-चेतना और विचार संवेदना को समक्षता में समझने के लिये ये दो शेर आधार हो सकते हैं लेकिन उनमें व्यक्त अनुभूति विरोधाभासी न लगे, इसके लिये पाठकीय सजगता आवश्यक है। पीर कोई भी हो उसके प्रति मानवीय संवेदना अपेक्षित ही नहीं स्वाभाविक भी है और स्त्री की पीर के प्रति तो और