एपिसोड---28 एक नव ब्याहता प्रेमी- युगल जब बाकि दुनिया को पीछे छोड़ गगन-चुम्बी धवल पर्वतों की ऊंचाइयों को छू रहा हो और सामने केवल नील गगन बाहें पसारे खड़ा मंगल कामना कर रहा हो तो होठों से इसी गीत के बोल अपने आप निकलेंगे ना !! "मिलता है जहां धरती से गगन आओ वहां हम जाएं ए ए तूं तूं न रहे, मैं मैं न रहूं इक -दूजे में खो जाएं-२, जीत ही लेंगे बाजी हम-तुम".... हम दोनों शादी के बाद पहली बार 30 अप्रैल'1970 को, भोर की पालकी लेकर आते दिशाओं के कहारो के संग- संग कार