छुट-पुट अफसाने - 24

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एपिसोड---24 आत्मविभोर कर देता है कुछ घटनाओं का याद आना। हमारे पंजाब भ्रमण का अगला पड़ाव " लुधियाना" था। और पहली बार लुधियाना जाना मुझे रोमांचित कर रहा था । जब मैं बी.एड कर रही थी जबलपुर के "हवाबाग कॉलेज" में तब मेरे साथ उषा सिब्बल पढ़ती थी। हमारी गूढ़ मित्रता के कारण वह भी मेरी लोकल गार्जियन बन गई थी बाद में।मैं होस्टलर थी, इसलिए एक दिन मेरा लंच बॉक्स उसके घर से आता था और दूसरे दिन " शिरीन" एक पारसी फ्रेंड थी मेरी उसके घर से आता था। हम तीनों की अच्छी दोस्ती थी। मैं वहीं आगे