एपिसोड--20 ना अंधेरी गलियों में गुम होती हैं ना पूर्णचंद्र के प्रकाश में स्नान कर धवल रूप धरती हैं । कृष्ण पक्ष हो या शुक्ल पक्ष विचारधाराएं तो चलती ही रहती हैं। घटनाएं या अफसाने घटते ही रहते हैं। अफसाने अतीत की कोठरियां हैं, जो दरीचों में से भी बाहर आने को अकुलाते रहते हैं। सन् 1970 की बात है। 12मार्च को हमारी शादी हुई तो हम हनीमून पर न जाकर ससुराल परिवार में सबसे मेरी घनिष्ठता बढ़ाने निकल पड़े। मैं "कटनी " एम .पी से थी। मुझे तो पंजाब के बाकि किसी शहर का नाम भी नहीं मालूम था