एपिसोड---16 पुराने लोग जी जान से रिश्ते -नाते निभाते थे। नाराज़ भी वही लोग होते थे, जिन्हें यह गुमां होता था कि मुझे मनाने वाले लोग हैं। और अधिकतर घर के दामादों को विरासत में यह अधिकार दहेज के साथ मुफ़्त में ही मिल जाता था । वैसे तो हर कोई किसी न किसी घर का दामाद होता ही है, लेकिन अपनी पारी आने पर ही वो भी ये जलवे दिखाते थे। क्योंकि जो मर्जी हो जाए, जनवासे से बारात तो सब रिश्तेदारों को साथ लेकर ही चलती थी तब। गुलाबी पगड़ी बांधे सब रिश्तेदार शान से एकजुट हो आगे