ये कहानी है आरोही और निक्षांत की मोहब्बत कीजिंदगी के हर बुरे दौर से गुजर कर भी दोनों अपनी मोहब्बत को निभाते हैकिस तरह बदलती दुनियाँ में भी दोनों एक दूसरे की प्रति समर्पित रहते हैआरोही की जिंदगी की खाली जगह कैसे निक्षांत के आने से पूरी हो जाती है और वो ज़रा जरा मोहब्बत मे डूब जाती हैPart 5आज आरोही का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था वो चाहती थी की जल्दी से सुबह हो और वो उसे देख पायेसोचते सोचते आँख लग गयीऔर सुबह जीवा की आवाज़ से उसकी आँखे खुली आज एक आवाज़ में वो उठ के तैयार