तू है पतंग मैं डोर - 2 - अंतिम भाग

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अंतिम भाग -2 पिछले अंक में आपने पढ़ा कि विकास और मान्यता बचपन के वर्षों बाद कॉलेज में मिलते हैं …. कहानी - तू है पतंग मैं डोर विकास ने हँस कर समझाते हुए कहा " नहीं यार , अभी तक देवदास और पारो वाली बात नहीं है . हम बचपन के बाद आज आमने सामने हुए हैं . ठीक से एक दूसरे को पहचान भी नहीं सके थे . " " तुम वही बंदरी हो . इतनी सुन्दर और स्मार्ट कैसे हो गयी .याद है तुमने मेरा पतंग उड़ाया था .बार बार बंदरी की तरह उछल