4-- माँ से आज्ञा लेकर दोनों मित्र अगले ही दिन साईकिल से देवबंद पहुँचे | वैसे देवबंद जाना उनके लिए कुछ बड़ी बात नहीं थी | दोनों मित्र छठी कक्षा से लेकर दसवीं तक दो-साल तक तो पैदल ही या कभी कोई ट्रक वाले भाई मिल जाते, कभी किसी की साइकिल की ही सवारी मिल जाती लेकिन कैसे भी वे देवबंद पढ़ने आते रहे | कभी जब रास्ते में थकान लगती तो बीच में पड़ती नदी किनारे गहन वृक्ष की छाँहों में घर से बाँधकर दिया गया खाना खाते हुए भविष्य के बारे में चर्चा भी करते लेकिन कोई ऎसी