3-- सुगंधा मंच पर बैठी थी लेकिन इस स्थान तक की उसकी यात्रा बहुत कठिन रही थी | यहाँ पर बैठे हुए भी कहीं पीछे के पृष्ठ जैसे उसकी आँखों के सामने किसी चलचित्र की भाँति पलटते जा रहे थे | जब वह शुरू-शुरु में संस्थान में आई थी, उसको गिराने की, वहाँ से भगाने की कितनी कोशिश की गई थी | जिसको सोचकर आज भी उसका मन काँप जाता है | कार्यक्रम चल रहा था और सुगंधा न जाने कहाँ थी ? सुगंधा का परिवार उत्तर-प्रदेश के देवबंद नामक कस्बे में रहता था | उसके पिता की तीन प्यारी