न... किसी से कम नहीं ट्रेंडी - 2

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2- प्रो. अशोक चटर्जी उन तीन शुरूआती छात्रों में थे जिन तीनों को संस्थान ने 'पास-आउट' होने के बाद संस्थान में फ़ैकल्टी के रूप में बड़े सम्मान के साथ शिक्षण-कार्य के लिए चुना गया था | यहाँ फ़ैकल्टी के लिए उम्र की कोई सीमा न थी | हाँ, रिटायरमेंट एक फॉर्मेलिटी थी जिसके बाद भी फ़ैकल्टी अपनी इच्छा व स्वास्थ्य के अनुसार काम कर सकती थी | कोई न कोई 'प्रोजेक्ट' चलता ही रहता |  कैम्पस में बॉयज़ और गर्ल्स हॉस्टल्स की बिल्डिंग्स के अतिरिक्त फैकल्टीज़ के लिए भी क्वॉर्टर्स बने थे | खेलने-कूदने का लंबा-चौड़ा ग्राउंड, कैंटीन, पीयून्स, ड्राइवर्स