सुबह करीब 4:00 बजे के आसपास अचानक मेरी आंख खुल गई, क्योंकि मुझे किसी की सिसकारियां किया सुनाई दे रही थी। और कोई लंबी आहें भर रहा हूं ऐसा महसूस हो रहा था। उठकर देखा आसपास तो मेरे अलावा और कोई नहीं था। पर महसूस हुआ यह तो मेरे अंतर मन की वेदना पीड़ाड़ा इन सिसकियों में पिछले 4 साल से अनवरत प्रकट हो रही है। चलिए आज से करीब 4 साल पहले जब इस घटना की शुरुआत हुई, वहीं सेेे कहानी की शुरुआत करतेेे हैं। ( जब पहलीीीीी बा कि