अंक - उन्नीस/१९डॉक्टर अविनाश, मिसीस जोशी और संजना ने बड़े ही प्यार से सांत्वना देकर स्वाति को शांत करने के बाद आलोक बोला..'स्वाति प्लीज़, तुम ऐसे शब्द बोलती हो तो मुझे अपने आप पर फटकार बरसाने का मन हो जाता है। मैं तो आप सब का इतना ऋणी हूं कि ऋणमुक्त होने के लिए मेरा ये जनम कम पड़ेगा। अदिती की सांसों के लिए मैं मेरे अंतिम सांस तक अदिती को तन, मन और धन से पूर्ण रूप से समर्पित हूं। लेकिन स्वाति तुम्हारा ऋण तो मैं किस तरह अदा करूंगा?अदिती और मैं, हम दोनों एक ईश्वरीय संकेत की संज्ञा