लेखक की चुनौती (व्यंग्य)

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लेखक की चुनौती साहित्य समाज का आईना होता है परंतु साहित्य भी समाज को उसके वास्तविक रूप में चित्रण से बचता रहा है। समाज में जहाँ अच्छाईयाँ, आदर्श और ईमानदारी है वही धूर्तता, मक्कारी और अनेकों बुराईयाँ भी है। हर व्यक्ति अपनी कहानी का नायक होने के साथ ही साथ किसी अन्य की कहानी का सहयोगी पात्र, विदूषक या खलनायक होता है। कहानियाँ हमारे आस-पास बिखरी पड़ी है उन्हें चुनकर कथा के नाटकीय रूप में प्रस्तुत करना कहानीकार की कला होती है। हमारे समाज में पढ़े जाने वाले साहित्य की कमी नहीं है परंतु पिछले कुछ दशकों में