अनैतिक - १६

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कशिश को देख कर, उस से बाते कर,अब धीरे धीरे मेरा डर कम होने लगा था..एक दिन की बात है, मै अपने रूम में काम कर रहा था. मेरी शिफ्ट बदल गयी थी अब मुझे दिन में काम करना पड़ता था, उस दिन मै अपने लैपटॉप में काम कर रहा था और और पापा मम्मी खाना खा रहे थे, मैंने मेरे रूम में ज्यादा आवाज़ में गाने सुनते हुए मीटिंग की तयारी कर रहा था, कब दरवाज़े की घंटी बजी मुझे कुछ सुनाई नहीं दिया और गाने के साथ साथ मै भी अपना सुर मिलाने लगा "एक लड़की