ये उन दिनों की बात है - 17

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मेरी और कामिनी की मम्मी वहां बैठी थी, जहाँ औरतें मंगल गीत गा रही थी | बच्चे इधर-उधर दौड़-भाग कर रहे थे, खेल रहे थे | हलवाई तरह-तरह के पकवान बना रहे थे | कोमल दीदी पार्लर गई हुई थी | बारात तोरण मारने घर आ पहुंची थी | उसके बाद दूल्हे राजा की आरती की गई और उन्हें नई कलाई घड़ी भेंट की गई | लड़के-लड़कियाँ ढोल ताशे पर जमकर नाच रहे थे | सोनिया और उसकी कज़िन्स रिबिन लेकर दरवाजे पर आ खड़ी हुई ताकि जीजाजी रिबिन काटे, शगुन के पैसे दे और उन्हें अंदर जाने दिया जाए