वे अद्भुत, अविस्मरणीय 16 दिन लेखिका अनघा जोगलेकर अपनी बात यूँ लगा जैसे मैंने कोई बहुत ही मनोरम स्वप्न देखा हो। पिछले 20 वर्षों से मन में पल रही एक मनोकामना यकायक फलीभूत हो उठी। हाँ, कदाचित स्वप्न ही था वह। दिवास्वप्न.... आज से 4 माह पूर्व मुझे एक फोन आया, "हम कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए जा रहे हैं। क्या आप हमारे साथ जाना चाहेंगे?" मुझे तो यूँ लगा जैसे वह फोनकॉल न होकर साक्षात प्रभुवाणी हो। उस फोनकॉल ने मेरे मन में उथल-पुथल मचा दी। घर में यात्रा पर जाने के लिए पूछा तो सबने मना कर दिया