स्टूडियो उसी रात। काले रंग की दो बड़ी कारें डे स्ट्रीट रोड पर सन्नाटे को चीरती हुई तेजी से आगे बढ़ रहीं थीं। टायरों की चरचराहट रात के सन्नाटे में अजीब सी लग रही थीं। ऐसा लग रहा था कई सारे चमगादड़ चिचिया रहे हों। इस रोड पर गाड़ियों का आना-जाना आम सी बात थी। रात का आखिरी पहर था। दोनों ही कार में ड्राइवर को मिलाकर तीन-तीन आदमी मौजूद थे। दोनों ही कारों की रफ्तार बहुत ज्यादा नहीं थी। कुछ दूर जाने के बाद एक बड़ी सी इमारत के सामने दोनों ही कारें रुक गईं। कार रुकते देख कर