होगी जय, होगी जय... हे पुरुषोत्तम नवीन!

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सूर्यबाला बात फैल गई चारों ओर! जंगल की बात, जंगल की आग की तरह! अरुण वर्मा ने आज फिर एक ट्रक पकड़ा है, पकड़ा है तो खैर ऐसी कोई खास बात नहीं! सभी फॉरेस्‍टवाले पकड़ते रहते हैं। ऐसे कि जहाँ माल लादकर चुपचाप रफूचक्‍कर हो जाने की सरसराहट सुनी, टार्च की रोशनी फेंककर एक तीखी सीटी के साथ दहाड़ मार दी - 'स्‍टॉप, कहाँ जाता है बे? खबरदार जो भागने की कोशिश की! चलो, रोको ट्रक उधर!' ट्रक रुक जाता है। बैठा हुआ ड्राइवर और साथी उतर आते हैं हाथ जोड़कर। फिर कुछ अदद हुजूर... माई-बाप किस्‍म के सिखाए-पढ़ाए मुहावरे,