प्रायश्चित - भाग -5

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उस दिन के बाद दिनेश उसका और ज्यादा ध्यान रखने लगा था। ऑफिस जाने के बाद दिन में कई बार ,उसे फोन करके हालचाल पूछता। कई बार तो वह दिनेश के बार-बार फोन कॉल करने से खीज भी जाती थी लेकिन मन ही मन खुश भी बहुत होती । दिनेश की उसके प्रति यह फिक्र देखकर। किरण भी जब तब उसकी सहायता करवाने के लिए आ जाती । वह तो उसे बहुत मना करती थी लेकिन वही जिद करके खुद काम करने लग जाती। कहती "दीदी इस बहाने मेरा मन लगा रहेगा। मेरा खुद का काम ही कितना है और