सुंदरी

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सुंदरी अबुल हसन यों तो था पाँचवक्ती नमाजी लेकिन उसका उठना-बैठना हिंदुओं के साथ था। उसके रग-रग में भारतीय सभ्यता और संस्कृति रची-बसी थी। उसे अपनी सभ्यता-संकृति से बड़ा प्यार था। उसकी दृष्टि में भारतीय संस्कृति के चार आधार ‘ गंगा , गीता, गायत्री और गौ ’ किसी धर्म विशेष यानी केवल हिंदू धर्म ,जिसे वह सनातन धर्म ही कहना पसंद करता है , के लिए ही नहीं वरन् प्रत्येक हिंदू अर्थात्