बाबूजी सिखाते- सिखाते मर गये मगर......आर 0 के0 लालबाबूजी हमेशा कहा करते थे, “हिम्मते मरदां मददे खुदा”। यह एक फारसी कहावत है जिसका मतलब होता है “फॉर्चून फेवर्स ब्रेब्स” । बाबूजी के समय में अपने देश में बहुत कम, लगभग पचीस प्रतिशत ही लिटरेसी थी, इसलिए वह हमेशा पढ़ने की सलाह देते थे। जब भी मौका मिलता तो वे लोगों को अपने पास बैठा लेते थे और कुछ न कुछ उन्हें पढ़ाया करते थे। बाबूजी ने फारसी और अरबी भाषा में शिक्षा ग्रहण की थी इसलिए उनकी हर बात में उसी का लय होता था। अक्सर वह कहा करते थे