तीन टांगों वाली खाट

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वह खाट दादी की थी। पिताजी के दादी की। तीन टांगों वाली। किसी ज़माने में उसके भी चार पाये थे और दादी को उसके सिवा कहीं नींद नहीं आती थी। दादी को सब ईश्वर के करीब मानते, शुद्ध आत्मा। तो आखिर दादी की खाट के तीन पाये क्यों बचे थे?गांव में सब दादी को बहुत मानते थे। किसी के घर जलुआ होता तो उनके खाट से पाया निकाल कर ले जाते। जलुआ गांव में किसी लड़के की शादी में उसके बारात बिदा होने के बाद किया जाता है। सारी औरते इकट्ठा होकर रात भर नाच गाना करती हैं। इस समारोह