वो यादगार डेट - 1

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आखिरकार इतने दिनों के बाद , हमारा मिलने का प्लान बन ही गया । खुशी का मानो कोई ठिकाना ही ना था । कब ये रात गुजरेगी , कब दिन निकलेगा ।1-1 मिनट भी सालो जितनी बड़ी लग रही थी । कभी इस करवट तो कभी उस करवट , नींद तो आने का नाम ही नहीं ले रही थी ।इन्हीं सब के चलते फिर एक मैसेज लिख ही दिया । थोड़ा समय से आ जाना इस बार ।पहले सोचा साढ़े आठ का टाइम बोल दू ,पर फिर सोचा हर बार की तरह इस बार भी आना तो लेट से ही है तो आठ