स्वप्ननिलय**********उखड़े मन से विनी उठती है ,नजर बेड के दूसरे किनारे तक घूम जाती है ।उतारे हुए कपड़े बेड पर फैले पड़े हैं।कुछ अजीब-सी शक्लें लिए ….सलवार का एक पैर उल्टा तो एक सीधा ,कुर्ते की बाँहें बेड से नीचे बेजान-सी लटक रही हैं...बाकी कुर्ते का हिस्सा कपड़ों के ढेर के ऊपर पड़ा है ।अचानक मन सिहर उठता है, लग रहा था हाथ की हड्डिया टूट गई हैं और बेजान हाथ नीचे लटके हैं या बिना हाथों के शरीर से कुर्ते की खाली बाँहें नीचे लटकी हैं ।घबरा कर विनी ने नजर दूसरी तरफ घुमा लीं ।उसका बिल्कुल मन नही