पवनकरण का ‘काव्य संग्रह‘ इस तरह मैं पुस्तक समीक्षा- सहज और उम्दा कविताऐंः इस तरह मैं राजनारायण बोहरे पुस्तक-इस तरह मैं ‘काव्य संग्रह‘ कवि-पवनकरण प्रकाशक-मेघा बुक्स दिल्ली साहित्य दरअसल दुनिया को अपने तरीके से जानते, पहचानने और परिभाषित करने का सबसे उत्कृष्ट रूप है। इस रूपंकर के सृजेता का मन और उसमें बसी छवियां ही कविता या किसी अन्य विधा के रूप में साकार होती हैं, इस तरह इस रूप में रचना नहीं रचनाकार खास होता है। वर्तमान युग में जब तमाम विधाओं का एक-सा स्वरूप मौजूद है और रचनाकार की पहचान मुश्किल हो रही हो, तो ऐसे